कांग्रेस के बिहार प्रभारी पूर्व केन्द्रीय मंत्री भक्त चरण दास ने कहा कि इस बजट में बिहार की पूरी उपेक्षा हुई है। यह बजट दिशाहीन एवं विकास विरोधी है। इस बजट में बेरोजगारी हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि जिन पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं वहां सडक‚ रेलवे एवं इन्फ्रास्टर पर भारी निवेश का प्रावधान है जो केन्द्र सरकार की नीति को दर्शाता है। पेट्रोल‚ डीजल‚ रसोई गैस एवं उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ रही है‚ लेकिन मध्यम वर्ग के आयकर की सीमा में कोई बढत नहीं की गई है।
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा ने कहा कि मुनाफे में चल रहे सरकारी प्रतिष्ठानों को कम कीमत पर बेचने की तैयारी चल रही है। इस बजट में उद्योग एवं व्यापार को बढावा देने का कोई प्रस्ताव नहीं है। कांग्रेस के वरीय नेता एआईसीसी सदस्य तथा पूर्व विधायक जनार्दन शर्मा ने कहा कि यह बजट बच्चों का खिलौना मात्र है। इसमें न तो किसान न बेरोजगार और ना ही महंगाई के लिए कोई उपाय किया गया है। कुल मिलाकर यह बजट खाली डिब्बा खाली बोतल साबित हुआ। कांग्रेस विधान मंडल दल के नेता अजीत शर्मा ने भी बजट को दिशाहीन बताया। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष एचके वर्मा‚ प्रवक्ता डॉ. हरखु झा और राजेश राठौड ने भी बजट को दिशाहीन एवं बेरोजगारी बढानेवाला बताया।
पूर्व विधान सभा अध्यक्ष सदानंद सिंह ने कहा कि बजट से आम आदमी और किसानों को ठगा गया है। यह बजट निजीकरण और चुनाव वाले राज्यों को समर्पित है। इनकम टैक्स पेयर्स को कोई राहत नहीं दी गयी है। उल्टे इनकम टैक्स की चोरी करने वालों को इस बजट से बढावा मिलेगा। किसानों का इनकम बढाने के लिये कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया है। पूरे देश में मात्र ३० लाख किसानों को ही एमएसपी के दायरे में बढाया गया है। उपर से कृषि सेस के नाम पर डीजल में ४ रु और पेट्रोल पर २.५० रु सेस लगा कर जनता पर अतिरिक बोझ डाला गया है।
बजट निराशा पैदा करने : बसपा
बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश प्रभारी डॉ. मुन्ना प्रसाद कुशवाहा ने कहा कि आज केंद्र सरकार ने जो बजट पेश किया है वह निराशा पैदा करने वाला है। श्री कुशवाहा ने कहा कि बजट में बिहार प्रदेश को नजरअंदाज किया गया है। इस बजट से छात्रों‚ किसानों‚ युवाओं के साथ छोटे व्यापारियों को निराशा हुई है। कोरोना कल में जो मजदूर बिहार लौटकर आए थे उन्हें बिहार में ही रोजगार देने कि बात कही गई थी। पर‚ बिहार को विशेष राज्य का दर्जा तो दूर विशेष पैकेज भी नहीं दिया गया। सिर्फ आत्मनिर्भर भारत के स्लोगन से लोग आत्मनिर्भर नहीं होंगे बल्कि इसके लिए अलग से कुछ प्रावधान सरकार को इस बजट में करना चाहिए था।