भाजपा ने बिहार की राजनीति को एक बार फिर से दोराहे पर ला कर खड़ा कर दिया है। BJP ने बिहार में शाहनवाज हुसैन की इंट्री कराकर दूसरे राजनीतिक दलों को ‘धर्मसंकट’ डाल दिया है। दरअसल, बिहार NDA में एक भी मुस्लिम विधायक चुनकर नहीं आए। बिहार मंत्रिमंडल में एक भी मुसलमान चेहरा शामिल नहीं है। ऐसे में अल्पसंख्यक विरोधी मुहिम को लेकर चलने वाली पार्टी भाजपा ने नहला पर दहला खेला। केंद्र की राजनीति में सक्रिय शाहनवाज हुसैन को बिहार में सुशील मोदी की खाली हुई विधान परिषद की सीट पर सदस्य बना दिया। माना जा रहा है कि शाहनवाज हुसैन का जो कद है, उसके मुताबिक उन्हें बिहार मंत्रिमंडल में बड़ा पोर्टफोलियो दिया जा सकता है। जब भाजपा ने ‘शाहनवाज’ का ‘दांव’ खेल दिया है तो बिहार की दूसरी राजनीतिक पार्टियों की पेशानी पर बल पड़ गया है।
जदयू के हुए ‘जमा’, एक भी मुस्लिम विधायक ना होने से परेशान था JDU
भाजपा के इस दांव से सबसे ज्यादा परेशानी उसके सहयोगी दल जदयू को है। जदयू ने 2020 विधानसभा चुनाव में 11 मुसलमान प्रत्याशियों को उतारा था। लेकिन, एक भी नहीं जीता पाए। ऐसे में जदयू मुसलमान ‘विहीन’ हो गई। इसका असर मंत्रिमंडल के पहले शपथ ग्रहण में साफ दिखा। एक भी मुस्लिम चेहरे ने शपथ नहीं ली। इसको लेकर जदयू लगातार दूसरे दल के मुसलमान विधायकों पर ‘डोरे’ डाल रहा है। चैनपुर से बसपा के एक मात्र मुस्लिम विधायक जमा खान को जदयू ने अपने पक्ष में कर भी लिया है। शुक्रवार को जमा खान जदयू में शामिल हो गए। जदयू उन्हें मंत्रिमंडल में भी जगह दे सकता है। वहीं जदयू की तरफ से विधान पार्षद गुलाम गौस और गुलाम रसूल बलियावी में एक को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
‘माई’ समीकरण लाने वाले राजद के सामने संकट
राजद में इस बार 8 मुसलमान जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं। तेजस्वी यादव द्वारा संचालित राजद में अभी किसी मुसलमान नेता को बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई। अब्दुल बारी सिद्दीकी जैसे कद्दावर नेता इस बार चुनाव हार कर विधानसभा नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में शाहनवाज के प्रदेश की राजनीति में आने से अब्दुल बारी सिद्दीकी को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। वहीं मुस्लिम-यादव (माई) समीकरण को साधने के लिए विधायक सरफराज आलम, अली अशरफ सिद्दीकी, डॉक्टर शमीम अहमद, यूसुफ सलाउद्दीन कैसर जैसे नेताओं को पार्टी से लेकर सदन तक में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।
कांग्रेस के मुसलमान चेहरों को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी
बिहार कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर मचे घमासान के बीच उन नेताओं को फायदा मिल सकता है, जो कांग्रेस के बड़े मुसलमान चेहरे हैं। NCP छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए तारिक अनवर को कांग्रेस ने बिहार की राजनीति के लिए फ्री छोड़ा हुआ है। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि तारिक अनवर को प्रदेश की कमान मिल सकती है। वहीं, शकील अहमद को भी प्रदेश की राजनीति में लाकर बड़ा ओहदा दिया जा सकता है। भाजपा के शाहनवाज हुसैन की ‘टक्कर’ में इन दोनों नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। वहीं प्रदेश के स्तर पर शकील अहमद खान, कौकब कादरी सरीखे नेताओं का भी कद कांग्रेस बढ़ सकता है।
बिहार विधानसभा में मुसलमानों की स्थिति
बिहार में मुस्लिम आबादी 17 फीसदी है।
विधानसभा के लिहाज से देखें तो 47 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक साबित होते रहे हैं।
साल 2015 में बिहार विधानसभा में 24 मुस्लिम चेहरे थे, जिनमें राजद के 11, जदयू से 5 चेहरे सदन में आए।
2020 बिहार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम राजनीति की लिहाज से AIMIM ने महत्वपूर्ण जीत हासिल की है। ओवैसी की पार्टी ने 5 सीट जीती है। वहीं, अगर अन्य पार्टियों से जीते मुस्लिम उम्मीदवारों की बात करें तो राजद से 8, कांग्रेस से 4, भाकपा (माले) से एक और बसपा से एक मुस्लिम उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। यानी 243 की विधानसभा में कुल 19 मुस्लिम चेहरे चुनकर आए हैं।