केंद्र सरकार ने कृषि कानून रद्द करने की मांग ठुकराई और किसानों को दो टूक कहा कि इन्हें डे़ढ़ साल स्थगित करने से अच्छा प्रस्ताव वह नहीं दे सकती। शुक्रवार को सरकार और किसानों की वार्ता में सरकार की तरफ से काफी तल्खी रही। यह पहली बार था कि बैठक में सरकार ने तेवर अपेक्षाकृत कड़े़ दिखाए। आमतौर पर सहज रहने वाले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को साफ कहा कि किसान संगठनों ने वार्ता के मुख्य सिद्धांत का पालन नहीं किया और बार–बार आंदोलन के आगामी कार्यक्रम घोषित किए। उन्होंने ये भी कहा कि कुछ ताकतें ऐसी हैं जो आंदोलन को समाप्त नहीं होने देना चाहतीं। कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि कानूनों में कोई खराबी नहीं थी लेकिन सरकार ने आंदोलन और आंदोलनकर्ता किसानों के सम्मान में संवेदनशीलता दिखाते हुए इन्हें स्थगित रखने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि अगर किसान कानून स्थगित रखने के प्रस्ताव पर विचार करते हैं तो फिर से वार्ता की जाएगी। कृषि मंत्री की ओर से जारी किए गए वक्तव्य में वार्ताओं के विफल होने के लिए किसानों को ही जिम्मेदार ठहराया है। इससे समझा जा सकता है कि सरकार और किसानों के बीच तल्खी बढ़ गई है।
हालांकि कृषि मंत्री ने इतनी भर नरमी दिखाई है कि आंदोलन अभी तक शांतिपूर्ण रहा है आगे भी शांतिपूर्ण ही रहेगा। सरकार के व्यवहार से किसान नेता भी हतप्रभ हैं। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि वार्ता के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर‚ रेल मंत्री पीयूष गोयल और राज्यमंत्री सोमप्रकाश का व्यवहार रूखा रहेगा। वार्ता के दौरान मंत्रियों की कम देर उपस्थित भी चकित करने वाली थी। कृषि मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि बृहस्पतिवार की रात को गृह मंत्री अमित शाह के साथ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की बातचीत के बाद ही सरकार ने सख्त रुख अपनाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि सरकार देखना चाहती है कि इस व्यवहार का किसानों पर क्या असर होता है।
इधर, किसान अपनी मांगं पर अड़े हुए हैं. सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद किसान नेता ने कहा कि सरकार द्वारा जो प्रस्ताव दिया गया था वो हमने स्वीकार नहीं किया. कृषि कानूनों को वापस लेने की बात को सरकार ने स्वीकार नहीं की है. अगली बैठक के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है.
किसानों का हंगामा
कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच तनातनी बरकरार है. आज 11वें दौर की बैठक से पहले विज्ञान भवन में एक किसान नेता ने हंगामा कर दिया. मौके पर मौजूद ज़ी न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, विज्ञान भवन में एंट्री के वक्त सिक्योरिटी चेक होता है. इसी दौरान मीटिंग में आए एक किसान नेता ने सिक्योरिटी चेकिंग के दौरान अपना आपा खो दिया और अपनी ही गाड़ी का शीशा डंडा मारकर तोड़ दिया. शोर सुनकर बीकेयू अध्यक्ष राकेश टिकैत मौके पर पहुंचे और उन्होंने बीच बचाव कराया.
ट्रैक्टर परेड को लेकर क्या बोले राकेश टिकैत?
11वें दौर की बैठक से पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने ज़ी न्यूज़ से बात की. राकेश टिकैत ने कहा कि रास्ता सरकार के पास है. जब सरकार चाह लेगी इस समस्या का हल निकल जाएगा. वार्ता से किसानों को कोई दिक्कत नहीं है. 26 जनवरी परेड को लेकर टिकैत ने कहा, हमसे तो सरकार ने 26 जनवरी को लेकर कुछ भी नहीं कहा है. पुलिस के साथ आज भी बात होगी. टिकैत ने एक बार फिर दोहराया कि हम रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली जरूर निकलेंगे. कृषि मंत्री के साथ बैठक के मुद्दों को लकर कहा, बिल वापसी और MSP से कम पर कोई बात नहीं होगी.
कानून रद्द करने की मांग से पीछे नहीं हटेंगे किसानः
हालांकि प्रमुख किसान नेता शिवकुमार कक्का जी ने कहा कि सरकार और किसान दोनों चिंतन कर रहे हैं लेकिन किसान कृषि कानून रद्द करने की मांग से पीछे नहीं हटेंगे। वहीं प्रमुख किसान नेता दर्शनपाल ने कहा कि ट्रैक्टर परेड़ २६ जनवरी को तय अनुसार ही होगी। हालांकि अभी तक पुलिस ने आउटर रिंग रोड़़ पर इसकी अनुमति नहीं दी है। ‘कृषि मंत्री जिस तरह की बात कर रहे हैं और जिस तरह वह आंदोलन को निशाना बना रहे हैं उससे साफ है कि सरकार आंदोलन को बदनाम करना चाहती है। ट्रैक्टर परेड़ भी शांतिपूर्ण ढंग से निकलेगी और अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो वह सरकार की तरफ से हो सकती है किसानों की तरफ से नहीं होगी।’ –जगत सिंह दल्लेवाल (किसान नेता)॥
केंद्र के प्रस्ताव और सरकार के आज के रवैये को लेकर कल संयुक्त किसान मोर्चा चर्चा करेगा। अगर कोई समाधान नहीं निकलता तो आंदोलन जारी रहेगा। २६ जनवरी की परेड़ की तैयारियां जोरों पर हैं‚ गांवों से बड़़ी तादाद में किसान इसमें हिस्सा लेने के लिए पहुंच रहे हैं।’ –किसान नेता राकेश टिकैत॥
‘बातचीत में कोई निर्णय नहीं हो पाने से निराशा हुई है। कुछ ‘ताकतें’ हैं जो अपने निजी और राजनीतिक हितों के चलते आंदोलन को जारी रखना चाहती हैं। अगर किसान का हित सर्वोपरि नहीं है और दूसरे हित सर्वोपरि हो जाएंगे तो किसान के हित में निर्णय नहीं हो पाएगा। भारत सरकार ने किसानों के प्रति हमेशा संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया। उनकी भी प्रतिष्ठा बढ़े। इसलिए भारत सरकार की कोशिश थी कि वह सही रास्ते पर विचार करे। मुझे उम्मीद है कि किसान संगठन हमारे प्रस्ताव पर सकारात्मक विचार करेंगे। किसानों के हित में विचार करने वाले लोग सरकार के प्रस्ताव पर जरूर विचार करेंगे।’ नरेंद्र सिंह तोमर (केंद्रीय कृषि मंत्री)