तीनों कृषि कानूनों की वापसी के सवाल पर दिल्ली बॉर्डर समेत देशभर में चल रहे किसान आन्दोलन के समर्थन में राष्ट्रव्यापी आह्वान पर सोमवार को पटना में महिला संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में मार्च निकाला गया और सभा आयोजित की गई। इस कार्यक्रम का नाम महिला दिवस दिया गया था। विदित हो कि विगत दिनों सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था कि किसान आंदोलन में महिलाएं क्या कर रहीं हैं। प्रतिवाद मार्च सुप्रीम कोर्ट के उसी बयान के बाद निर्धारित हुआ था। यहां कारगिल चौक पर प्रतिवाद मार्च निकाला गया‚ जिसका नेतृत्व ऐपवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे‚ राष्ट्रीय सचिव सह राज्य सचिव शशि यादव‚ ऐडवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामपरी व नेत्री सरिता पाण्डेय‚ बिहार महिला समाज की राज्य महासचिव राजश्री किरण व पटना सचिव अनिता मिश्रा‚ नारी गुंजन से पद्मश्री सुधा वर्गीज‚ बिहार घरेलू कामगार यूनियन से सिस्टर लीमा‚ विमुक्ता स्त्री संगठन से आकांक्षा‚ ऑल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन की राज्य सचिव अनामिका‚ आसमां खां‚ इंसाफ मंच से नसरीन बानो‚ बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ ऐक्टू की कोषाध्यक्ष राखी मेहता ने किया। सभा को संबोधित करते हुए महिला नेत्रियों ने कहा कि देशभर के किसान कड़़ाके की ठंड में दिल्ली को चारों ओर से घेर कर पिछले २६ नवम्बर २०२० से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इससे पहले जबसे अध्यादेश आया था तभी से किसान आंदोलनरत हैं। इस क्रम में ७० से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है‚ जिसमें मानसा की एक महिला किसान भी हैं। आंदोलन में बडी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। किसान आंदोलन के विभिन्न रूप अख्तियार कर रहे हैं। फिर भी सरकार की कान पर जूं नहीं रेंग रही है। उसे किसानों की बजाय अंबानी–अडानी की चिंता अधिक है। ऐसे में सरकार एक तरफ किसानों वार्ता के नाम पर उलझाए हुई है तो दूसरी तरफ फर्जी किसान संगठनों का समर्थन हासिल कर रही है। तीसरी तरफ किसान आंदोलन को तरह–तरह से बदनाम भी कर रही है। जब उसके सारे हथकंडे फेल हो गए तो सुप्रीम कोर्ट के जरिए एक कानून समर्थक कमिटी का निर्माण कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने यहां तक कह दिया कि इस आंदोलन में महिलाओं को नहीं शामिल किया जाना चाहिए। कोर्ट के इस महिला विरोधी फैसले की महिला संगठन निंदा करते हैं। पूरे देश से महिलाएं महिला किसान दिवस के अवसर पर दिल्ली बॉर्डर पर जुट रही हैं। वे कार्यक्रम का संचालन करेंगी‚ भाषण देंगी और सरकार की कॉरपोरेटारस्ती का करारा जबाव देंगी। इससे पहले भी विभिन्न महिला संगठन तीनों काले कानूनों की वापसी के लिए आन्दोलन कर चुके हैैं। मांगें पूरी नहीं हुई तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। वक्ताओं ने ४० किसान नेताओं को एनआईए द्वारा नोटिस देकर परेशान करने की घटना की निंदा और आंदोलन पर दमनात्मक कार्रवाई करने से बाज आने की चेतावनी दी।
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