राम जन्मभूमि अयोध्या में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास’ का गठन हुआ और ५ अगस्त २०२० को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी‚ संघ प्रमुख मोहन भागवत सहित ट्रस्ट से जुड़े हुए न्यासी साधु–संतों की उपस्थिति में भूमि पूजन हुआ। यह देश/दुनिया के सभी राम भक्तों के लिए ऐतिहासिक क्षण था। प्रभु श्रीराम भारतीय संस्कृति की आत्मा है एवं राम नाम पूरे देश को एक सूत्र में जोड़ने का कार्य करता है। राम जैसा पुत्र‚ राम जैसा भाई‚ राम जैसा पति‚ राम जैसा शासक पाने की इच्छा सभी की रहती है। श्रीराम भारतीय मूल्यों के आदर्श हैं‚ सम्पूर्ण विश्व में राम की युद्ध नीति ही आदर्श मानी गई है‚ सूर्यास्त के बाद युद्ध नहीं करना‚ घायल पर वार नहीं करना आदि। श्रीराम धर्म की मूर्ति हैं‚ वह धर्म की स्थापना के लिए अधर्म का नाश किए। वह विस्तारवादी नहीं थे‚ किष्किन्धा विजय के बाद वहा का राज सुग्रीव को दे दिया। लंका विजय के बाद विभीषण को राज देकर अयोध्या वापस आ गए। स्त्री शक्ति की रक्षा के लिए उनके कदम सभी के लिए अनुकरणीय हैं। उस समय के राजाओं में बहु विवाह का प्रचलन था‚ श्रीराम ने प्रतिज्ञा किया कि एक पत्नी धर्म का पालन करूंगा‚ यह स्त्री शक्ति के सम्मान में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम था। अहिल्या के उद्धार का प्रसंग हो या सुग्रीव की पत्नी रूमा को मुक्ति कराना हो‚ शबरी के हाथ से जूठा बेर खाने का प्रसंग हो यह सब सिद्ध करते है कि श्रीराम नारी सशक्तिकरण के लिए कितने आवश्यक कदम उठाए। रामो विग्रहवान धर्मः। राम धर्म के मूर्तिमंत प्रतीक हैं। श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए ४९२ वर्षों तक अनवरत और लगभग ३७ वर्षों के सुसूत्र अभियान में श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रमों के फलस्वरूप सम्पूर्ण भारतवर्ष लिंग‚ जाति‚ पंथ–सम्प्रदाय‚ भाषा‚ क्षेत्र आदि भेदों से ऊपर उठकर एकात्म भाव से जागृत हो गया और ९ नवम्बर १९८९ को एतिहासिक शिलान्यास समारोह का आयोजन कर पूज्य संतो की उपस्थिति में ‘प्रथम शिला’ बिहार के कामेश्वर चौपाल ने रखी थी। श्रीराम जन–जन के मन में बसते हैं और आस्था के केंद्र हैं। राम नाम पूरे देश को एक सूत्र में बांधने का कार्य करता है‚ घर में कुछ अच्छा हो तो राम जी कृपा और बुरा हो तो राम जी की इच्छा और अंत में राम नाम सत्य‚ यह सभी भाषा/भाषियों में एक जैसा है। यह केवल राम मंदिर बनने की बात नहीं है बल्कि भारतीय संस्कृति के शक्तिकेंद्र की स्थापना का पर्व है। इस महापर्व में महायज्ञ का आयोजन हो रहा है‚ न्यास के लोगों ने निर्णय किया कि मंदिर निर्माण सरकारी धन से नहीं‚ ना ही किसी एक–दो उद्योगपति के पैसे से बनवाना है बल्कि यह जन–जन के राम हैं‚ सभी का उद्धार करने वाले राम हैं तो प्रत्येक राम भक्त के सहयोग और उनके द्वारा प्राप्त समर्पण राशि से भव्य राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा।
सभी राम भक्त स्वयं को सौभाग्यशाली भी मान रहे हैं कि मंदिर निर्माण में वह सहयोग करने जा रहे हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने मकर संक्रांति १५ जनवरी से माघ पूर्णिमा २७ फरवरी २०२१ तक श्रीराम मंदिर निर्माण निधि संकलन एवं जनसम्पर्क अभियान का आयोजन किया है‚ जिसमें दस रुपये से लेकर आप अपनी श्रद्धा अनुसार समर्पण राशि प्रदान कर सकते हैं‚ यह केवल राम मंदिर निर्माण नहीं है अपितु यह राम मंदिर से राष्ट्र निर्माण की प्रकिया है। इसी प्रकार कन्याकुमारी में विवेकानंद स्मारक जन सहयोग से बना था। विवेकानन्द स्मारक के निर्माण के लिए उस समय की १ प्रतिशत वरिष्ठ जनसंख्या ने एक–एक रु पये के दान से ८५ लाख धनराशि का योगदान दिया। शिला पर मिर्मित इस भव्य स्वामी विवेकानन्द के स्मारक की यह है कि (१९६४–७०) की निर्माण अवधि में लगभग देश के सभी राज्यों की सरकार ने चाहे उसमें किसी भी दल का शासन हो‚ इसमें कम–से–कम एक लाख रु पये की धनराशि दान दी। केंद्रीय सरकार का भी रु पये १५ लाख का इसमें योगदान रहा।
स्वामी विवेकानंद स्मारक के लिए सहयोग राशि के लिए कम्युनिष्ट नेता एवं मुख्यमंत्री रहे ज्योति बसु के घर संघ के प्रचारक रहे एवं स्वामी विवेकानंद स्मारक के सचिव रहे एकनाथ रानाडे पहुंचे‚ ज्योति बसु को उन्होंने सहयोग राशि देने का अनुरोध किया तो ज्योति बसु ने कहा आप गलत जगह आ गए हैं‚ संघ विचारधारा वाले ज्योति बसु का घर इसी गली में आगे है तो एकनाथ रानाडे ने कहा मैं कम्युनिस्ट नेता ज्योति बसु के घर आया हूं और उनसे सहयोग राशि चाहिए तब ज्योति बसु ने अपनी पत्नी के खाते से सहयोग राशि प्रदान किया। चाहे कोई किसी भी विचारधारा का हो हमें राम मंदिर समर्पण निधि के लिए उसके पास जाकर लेने का पवित्र उद्देश्य राम राज की ओर बढ़ते कदम की शुरुआत है ।
गुजरात में स्थित सोमनाथ मंदिर भी जनसहयोग से बना था । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूमि पूजन के समय अपने वक्तव में कहा था कि राम मंदिर के यह निर्माण की यह प्रक्रिया‚ राष्ट्र को जोड़ने का उपक्रम है‚ आज का यह दिन करोड़ों राम भक्तों के संकल्प की सत्यता का प्रमाण है‚ प्रधानमंत्री ने कहा यह एतिहासिक पल युगों–युगों तक‚ दिगदिगंत तक भारत का कीर्ति–पताका फहराते रहेंगे। प्रधानमंत्री ने वक्तव में जो कहा उससे स्पष्ट होता है कि स्वामी विवेकानंद की भविष्यवाणी सत्य होने जा रही है ‚ जिसमें स्वामी जी ने कहा था कि भारत २१वीं सदी में विश्व गुरु बनेगा। शक्ति केंद्र के रूप में जन सहयोग से स्थापित श्रीराम मंदिर देश‚ समाज‚ संस्कृति को एक नई उचाई पर ले जाने वाला सिद्ध होगा। इसमें जितनी सहभागिता होगी उतना ही यह पुनीत कार्य देश और समाज को बल प्रदान करने वाला होगा।