मुख्यमंत्री की सख्त ताकीद और 48 घंटे के अल्टीमेटम के कारण पुलिस ने पूरी ताकत झोंक दी है। हाई प्रोफाइल मर्डर के कारण चौतरफा खिंचाई से पुलिस भी सक्रिय हुई है। सारण के मूल निवासी रुपेश पटना में रह रहे थे, लेकिन जांच टीम को गोपालगंज से जुड़े टेंडर के विवाद का सुराग मिला है। छपरा से किसी तरह का विवाद टीम को हाथ नहीं लगा है, जबकि पटना में एयरपोर्ट पर पुलिस हरेक से पूछताछ कर रुपेश से गहरे जुड़े हर व्यक्ति तक पहुंचने की कोशिश में लगी है। टेंडर विवाद से जुड़े सुराग को लेकर गिरफ्तारी के लिए छापेमारी चल रही है और बुधवार शाम तक ही सुपारी किलर्स तक पहुंचने की कोशिश चल रही है। बुधवार दोपहर पुलिस मुख्यालय ने प्रेस नोट जारी कर FSL की मदद से SIT और STF के इस मामले में अनुसंधान की औपचारिक जानकारी भी दी।
पटना एयरपोर्ट पर तैनात इंडिगो के स्टेशन मैनेजर रूपेश सिंह हत्याकांड में पुलिस को कुछ अहम सुराग हाथ लगे हैं। सूत्रों के अनुसार सीसीटीवी कैमरे में मिले फुटेज के अनुसार अपराधियों ने एयरपोर्ट से ही रूपेश का पीछा करना शुरू कर दिया था। पूरे रास्ते अपराधी मौके की तलाश में थे। लेकिन रास्ता व्यस्त रहने से शूटरों ने हमला नहीं किया। इसके बाद जैसे ही रूपेश ने अपनी गाड़ी गली की ओर घुमायी, अपराधी सक्रिय हो गये। फिर गाड़ी के अपार्टमेंट के सामने रुकते ही शूटरों ने गोलियां दागनी शुरू कर दीं। यह फुटेज पुलिस टीम के लिये तुरुप का पत्ता साबित हुआ है।
इसके अलावा टेक्निकल सर्विलांस के अन्य तरीकों से भी एसटीएफ और पटना पुलिस की टीम जांच में जुटी हुई है। जिस तरीके से इस वारदात को अंजाम दिया गया है, उससे यह साफ है कि शूटर बेहद प्रोफेशनल थे। अपराधियों को यह पता था कि रूपेश कितने बजे एयरपोर्ट से निकलेंगे। सूत्र बताते हैं कि एयरपोर्ट के पास लगे कई कैमरों को पटना पुलिस की टीम ने खंगाला है। वहां से मिले फुटेज से भी अहम सुराग हाथ लगे हैं।
सचिवालय के 500 मीटर दूर इंडिगो के स्टेशन हेड रुपेश सिंह की अपने अपार्टमेंट के नीचे मंगलवार शाम हत्या के बाद मुख्यमंत्री ने पुलिस को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया था। इसमें से 20 घंटे से ज्यादा बीत चुके हैं और हत्यारों तक पहुंचने के लिए गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) और स्पेशल टास्क फोर्स (STF) को ठेकेदारी से जुड़े विवाद की जानकारी हाथ लगी है। पुलिस की विशेष टीम रुपेश सिंह की आकर्षक छवि को लेकर एयरपोर्ट पर भी हत्या का राज ढूंढ़ रही है, लेकिन उसने अब पूरा ध्यान इंडिगो मैनेजर के भाई के नाम पर चल रहे ठेकेदारी के काम से जुड़े विवादों की ओर केंद्रित कर दिया है। रुपेश के बड़े भाई JDU से जुड़े हैं और इन्हीं के लिए टेंडर मैनेजमेंट में रुपेश सक्रिय थे।
सारण के जलालपुर निवासी रुपेश सिंह के भाई पेशे से ठेकेदार है। भाई को ठेकेदारी दिलाने में रुपेश की महत्वपूर्ण भागीदारी होती थी। रुपेश भले ही इंडिगो के स्टेशन मैनेजर थे, लेकिन उनकी पैठ राजनीतिक गलियारे से लेकर बड़े सरकारी अधिकारियों तक थी। ठेकेदारी के किसी विवाद में फुलप्रूफ प्लान के तहत सुपारी देकर हत्या करवाए जाने के एंगल से पुलिस की विशेष टीम जांच कर रही है।
बड़े भाई जदयू के जिला प्रवक्ता रहे हैं, वही लेते हैं टेंडर
रुपेश के बड़े भाई नागेश्वर (नंदेश्वर) सिंह जदयू के सारण जिला प्रवक्ता रहे हैं और कुछ वर्षों से टेंडर का काम करते हैं। उनके बाद वाले भाई दिनेश कुमार सिंह सारण के ही जलालपुर में स्किल डेवलपमेंट का ट्रेनिंग सेंटर चलाते हैं। बड़े भाई के टेंडर के काम में रुपेश मदद करते रहे हैं और तफ्तीश में यह सामने आ रहा है कि इन्हीं के किसी टेंडर को लेकर विवाद में किसी दूसरे पक्ष से इस परिवार की अदावत हो गई। रुपेश ही ज्यादातर मैनेजमेंट करते थे, इसलिए उन्हें ही रास्ते से हटा दिया गया।
एयरपोर्ट पर भी सामने आई टेंडर विवाद की बात
बुधवार सुबह से थानेदार राम शंकर सिंह शास्त्रीनगर नगर थाना की पुलिस टीम एयरपोर्ट पहुंची हुई है। एयरपोर्ट से भी सुराग मिल रहा है कि हत्या का यह पूरा मामला टेंडर से जुड़ा है। इसी प्वाइंट पर पटना पुलिस की जांच चल रही है। इस वक्त एयरपोर्ट के अंदर कुछ लोगों से पूछताछ की जा रही है।
मुंगेर के पिस्टल से 7.65 mm की गोलियां चली थीं
प्राथमिक जानकारी में सामने आया है कि अपराधियों ने रूपेश की हत्या 7.65 mm की गोली से की है। इसके लिए मुंगेर की बनी हुई पिस्टल का इस्तेमाल किया गया है।
पटना में एक ही तरह से फिर मर्डर:जैसे संतोष टेकरीवाल और गुंजन खेमका को मारी गोली, उसी तरह रुपेश को भी उतारा मौत के घाट
इंडिगो के स्टेशन हेड रुपेश सिंह की हत्या ने बिहार में हुए दो पुरानी वारदातों की याद ताजा कर दी। इसमें एक मामला ट्रांसपोर्टर संतोष टेकरीवाल और दूसरा मामला कारोबारी व बीजेपी नेता गुंजन खेमका की हत्या का है। इन दोनों की तरह ही रुपेश सिंह की भी हत्या की गई। रुपेश को अपनी कार से बाहर निकलने का मौका भी नहीं मिला। दरअसल, 12 जून 2009 की रात 8:30 बजे के करीब कदमकुआं थाना के तहत राजेंद्र नगर के रोड नंबर 5 में एक स्कूल के पास अपराधियों ने कार में बैठे आजाद ट्रांसपोर्टर संतोष टेकरीवाल की गोली मारकर हत्या कर दी थी। वारदात को दो अपराधियों ने अंजाम दिया था। गोली बाईं तरफ से सीने में मारी गई थी। इस वारदात को 11 साल से भी अधिक बीत गए हैं, लेकिन आज तक अपराधी नहीं पकड़े गए।
इसी तरह पटना के रहने वाले कारोबारी व बीजेपी के नेता गुंजन खेमका की हत्या की गई थी। 20 दिसंबर 2018 को गुंजन पटना से हाजीपुर इंडस्ट्रीयल एरिया स्थित अपनी फैक्ट्री गए थे। गेट पर ही जब कार खड़ी थी तो घात लगाए अपराधियों ने बाहर से गोलियों की बौछार कर दी थी। खिड़की का शीशा चकनाचुर हो गया था। यह वारदात दोपहर 12 बजे के करीब की थी। हत्या के इन दोनों वारदातों की तरह ही मंगलवार की रात पटना में इंडिगो के स्टेशन मैनेजर की घात लगाए अपराधियों ने उनके ही अपार्टमेंट के गेट पर की। वो भी तब जब वो कार से बाहर निकले भी नहीं थे। अपराधियों ने इस तरह गोली मारी की ड्राइविंग सीट की खिड़की का शीशा चकनाचुर हो गया था। सीट पर खून पसरे हुए थे। इन तीनों ही वारदातों में अपराधियों की हत्या करने का तरीका काफी मिलता जुलता है।
CISF के साथ मिलकर खंगाला गया CCTV फुटेज
रुपेश सिंह की हत्या ने पूरे बिहार को हिला कर रख दिया है। SIT को अलग-अलग हिस्सों में बांट कर उनकी जिम्मेवारी तय कर दी गई है। सचिवालय डीएसपी राजेश प्रभाकर की अगुवाई में शास्त्रीनगर थानेदार रामशंकर सिंह और एयरपोर्ट थानेदार अरूण कुमार व पटना पुलिस की स्पेशल सेल की टीम बुधवार को करीब 4 घंटे से अधिक देरी तक एयरपोर्ट पर रही। इस टीम ने CISF के साथ मिलकर एयरपोर्ट में लगे सभी CCTV कैमरा के फुटेज को खंगाला। मंगलवार के दिन रुपेश के हर मूवमेंट को चेक किया। साथ ही फुटेज के जरिए किसी संदिग्ध की तलाश की। घंटों की कड़ी मेहनत में पुलिस के हाथ क्या लगा? इस बारे में कुछ खुलासा नहीं किया गया है। वहीं, एक टीम बुधवार को वारदात स्थल और उसके आसपास के इलाकों को कई बार खंगालते हुए दिखी। पुनाइचक, बालदेव भवन और शंकर पथ के आसपास लगे CCTV को भी पूरी तरह से खंगाला गया है। पुनाइचक के एक कैमरे में शाम 7 बजे के करीब रुपेश की कार घर की तरफ जाते हुए भी दिखी है।
नहीं पता चला कि कौन-सी है बाइक
पुलिस के हाथ अब तक कोई ठोस सबूत नहीं लगा है। जांच की दिशा क्या है? इसे पूरी तरह से गुप्त रखा जा रहा है। खेल टेंडर का है या कुछ और? इस बारे में पुलिस अधिकारी अभी कुछ भी नहीं बता रहे हैं। पुलिस के हाथ वारदात स्थल के आसपास के कुछ CCTV फुटेज जरूर लगे हैं। जिसमें बाइक सवार अपराधी दिखे भी हैं। पुलिस अधिकारी के अनुसार अंधेरा होने की वजह से यह पता नहीं चल पा रहा है कि बाइक कौन सी थी? उसका नंबर क्या था?
ब्लाइंड केस है, टाइम लगेगा पर खुलासा करेंगे
रुपेश के हत्यारों की तलाश में पटना से लेकर सारण और गोपालगंज जिले तक पुलिस, STF और CID की टीम काम कर रही है। पिछले 24 घंटे में ताबड़तोड़ छापेमारी की गई है। कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी चल रही है। वारदात के पीछे की वजह और हत्यारे कौन हैं? इस बारे में अब तक कुछ साफ नहीं हो सका है। पुलिस के लिए यह केस पूरी तरह से ब्लाइंड है। पटना के रेंज आईजी संजय सिंह के अनुसार पुलिस ने अपनी पूरी ताकत अपराधियों को पकड़ने में लगा दी है। उनका दावा है कि थोड़ा टाइम लगेगा पर खुलासा जल्द होगा।