राज्य में जल–जीवन–हरियाली अभियान के तहत हो रहे तालाबों के निर्माण एवं जीर्णोद्धार के बाद उसकी देखभाल की जिम्मेवारी जीविका समूहों को दी जाएगी। मुख्यमंत्री का मानना है कि राज्य में जो आर्थिक सुधार हुआ है उसमें महिलाओं की महती भूमिका है। ये बातें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बृहस्पतिवार को पूर्णिया जिले के धमदाहा प्रखंड़ की दमगाड़ा पंचायत में जीविका दीदियों से संवाद के क्रम में कहीं।
उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में लगाए गए स्टॉल का निरीक्षण भी किया। मुख्यमंत्री ने स्टॉल में जीविका दीदियों द्वारा तैयार किये गये कई उत्पादों और कलाकृतियों का निरीक्षण कर खुशी जाहिर की। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार की आर्थिक स्थिति में जो सुधार आया है‚ उसमें महिलाओं की महती भूमिका है। स्वयं सहायता समूह के मामले में बिहार दूसरे राज्यों से काफी पीछे था‚ लेकिन आज स्थिति यह है कि यहां के जीविका समूह के पैटर्न को अपनाते हुए केंद्र ने पूरे देश में आजीविका कार्यक्रम लागू किया। उन्होंने कहा कि जल–जीवन–हरियाली अभियान के तहत जगह–जगह तालाबों का निर्माण एवं जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। इसकी देखभाल की पूरी जिम्मेवारी अब हमलोग जीविका समूहों को सौंपने वाले हैं। जीविका गीत उत्साहित करने वाला है।
आज हमने जो यहां देखा है‚ उसको देखकर काफी खुशी हुई है। जीविका दीदियों से अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आपसे यही अपेक्षा है कि नई पीढी को जागरूक करें‚ ताकि वह मिसगाईड नहीं हो सके। आपकी प्रेरणा से वे अच्छे कदम की तरफ बढेंगे। कुछ लोग हैं जो नई पीढी को गुमराह कर गलत रास्ते पर ले जाने की कोशिश में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि परिवार के लोग आगे बढेंगे‚ तभी परिवार आगे बढेगा। आपका धीरे–धीरे विकसित होना आपकी जागृति को दर्शाता है। अधिकरियों से भी हम कहेंगे कि यहां जो काम हो रहा है उसका आंकलन कीजिये‚ ताकि काम और बेहतर ढंग से हो सके‚ तभी ठीक ढंग से इलाके का विकास हो पाएगा।
उन्होंने कहा कि बिहार में कोई भी बडी फैक्ट्री नहीं है‚ फिर भी बिहार की तरक्की हो रही है और प्रतिव्यक्ति आमदनी भी बढ रही है। इसका कारण आप सभी लोग हैं। उन्होंने कहा कि पहली बारलोगों ने जब काम करने का मुझे मौका दिया‚ तो वर्ष २००६ में हमने स्वयं सहायता समूह के विषय में पूरी जानकारी ली। उस समय मुजफ्फरपुर जिले में दो जगहों पर हमने जीविका दीदियों से बात की। पहले स्वयं सहायता समूहों की संख्या काफी कम थी और बहुत कम संख्या में महिलाएं इससे जुडी थीं। उसी समय हमने स्वयं सहायता समूहों को प्रभावी बनाने के साथ इससे अधिक से अधिक महिलाओं को जोडने का निर्णय लिया और इसके लिए विश्व बैंक से कर्ज लिया गया। उसके बाद हमलोगों ने इसका नामकरण जीविका समूह किया।