संसदीय मामलों की मंत्रिमंड़लीय समिति (सीसीपीए) ने 29 जनवरी से संसद का बजट सत्र बुलाए जाने की सिफारिश की है । दो हिस्सों में आयोजित होने वाला बजट सत्र आठ अप्रैल को समाप्त होगा। सीसीपीए की सिफारिशों का हवाला देते हुए सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द 29 जनवरी को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे तथा एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश होगा। सूत्रों ने बताया‚ ‘संसदीय मामलों की मंत्रिमंड़लीय समिति (सीसीपीए) ने बजट सत्र का पहला हिस्सा 29 जनवरी से 15 फरवरी तक‚ दूसरा हिस्सा आठ मार्च से आठ अप्रैल तक आयोजित करने की सिफारिश की।’ संसद के बजट सत्र के दौरान कोविड़–19 से संबंधित सभी दिशा–निर्देशों का पालन किया जाएगा। सत्र आयोजित करने के बारे में अंतिम निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंड़ल द्वारा लिया जाएगा। कोविड़–19 के कारण संसद का शीतकालीन सत्र आयोजित नहीं हो सका था।
शीतकालीन सत्र रद्द करने को बताया था तानाशाही
वहीं, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने संसद का शीतकालीन सत्र न बुलाने पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था. पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, ‘केंद्र ने शीतकालीन सत्र रद्द कर दिया है. मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं. रूस और भारत केवल दो देश हैं जिन्होंने संसदीय सत्र को रद्द कर दिया है. यह डेमोक्रेसी के लिए अच्छा संकेत नहीं है. अगर विधानसभा चुनाव हो सकते हैं, अगर पॉलिटिकल रैलियां हो सकती हैं..तो विंटर सेशन भी बुलाना चाहिए था. यह तानाशाही है और कुछ नहीं.’
बता दें कि कोरोना के चलते इस बार संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया गया था. सरकार ने कहा था कि कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण इस बार संसद के शीतकालीन सत्र का आयोजन नहीं होगा. सरकार के इस कदम पर विपक्ष ने जमकर निशाना साधा था. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना था कि संसद का सत्र बुलाया जाना चाहिए, ताकि किसानों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो सके.