कोरोनावायरस महामारी के बीच सरकार ने इस वर्ष संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाने का फैसला किया है. संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीररंजन चौधरी को पत्र लिखकर बताया है कि सभी दलों के नेताओं से चर्चा के बाद आम राय बनी थी कि COVID-19 महामारी के चलते सत्र नहीं बुलाया जाना चाहिए. खत में लिखा गया है कि संसद का बजट सत्र जनवरी, 2021 में आहूत किया जाएगा.
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी चाहते थे कि संसद का सत्र बुलाया जाना चाहिए, ताकि किसानों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो सके तथा कानूनों में संशोधन किया जा सके.
कोविड की वजह से मॉनसून सत्र छोटा हुआ और शीत सत्र की संभावना धूमिल दिखाई देती है. सो, संसद खामोश है. मगर हाल के दिनों में ऐतिहासिक संसद परिसर निर्माण श्रमिकों, लॉरियों और कटते पेड़ों के कोलाहल से गूंज रहा था, जिससे विवाद, बहस और कुछ तीखी बोलियां भी उठीं. बेशक, यह सब संसद में या किसी सार्वजनिक जगह नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के एक ऑनलाइन सत्र में हो रहा था, जिसमें सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता को घुड़की मिली कि ”पांच मिनट में जवाब दें वरना ऑर्डर पास कर देंगे!” एसजी ने ‘सच्चे मन से क्षमायाचना’ की और भरोसा दिलाया कि उस स्थल पर कोई ‘निर्माण, तोड़-फोड़ या पेड़ों की कटाई’ नहीं होगी.
राजधानी दिल्ली में कोरोना के फिर से बढ़ते मामलों से संसद का शीतकालीन सत्र टल सकता है। ऐसे में तीन अध्यादेश और दर्जनों पेंडिंग बिल को पास कराने के लिए बजट सत्र तक का करना पड़ेगा। दिल्ली में बढ़े कोरोना का असर के चलते बजट सत्र में शीतकालीन सत्र मर्ज होगा। इस पर अंतिम फैसला संसदीय समिति की बैठक में होगा।
बता दें कि मानसून सत्र में 40 सांसद को कोरोना हुआ था। सत्र टलने से कई बिल और अध्यादेश लटकेंगे। संसद में Pesticide,सरोगेसी, पोर्ट अथॉरिटी बिल लटके हुए हैं। Personal Data Protection, Dam Safety Bill भी पेंडिंग हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शीत और बजट सत्र को एक साथ आयोजित करने को लेकर चर्चा प्रारंभिक दौर में है और अभी तक इस बारे में कुछ भी निर्णय नहीं लिया जा सका है। हालांकि सुझाव आए हैं कि दोनों सत्रों की अवधि में एक विस्तारित सत्र बुलाया जाए। आम तौर पर संसद का शीत सत्र नवंबर में शुरू होकर दिसंबर में खत्म होता है जबकि बजट सत्र का जनवरी के आखिरी हफ्ते से शुरू होता है। पहली फरवरी को बजट पटल पर रखा जाता है।
गौरतलब है कि गए बजट सत्र पर भी कोरोना का साया पड़ा था। इस महामारी के बीच मानसून सत्र 14 सितंबर से अयोजित हुआ था जो की महज आठ दिन का रहा। 24 सितंबर को खत्म होने वाले मानसून सत्र के लिए कोरोना से बचाव के सभी इंतजाम किए गए थे। संसद भवन परिसर में व्यापक रूप से सेनेटाइजेशन का काम हुआ था। परिसर में आने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की कोरोना जांच होती थी।
पहली बार लोकसभा और राज्यसभा में सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई थी। हालांकि गए मानसून सत्र में अधिकारियों द्वारा विस्तृत इंतजाम किए जाने के बावजूद कई सांसद और संसद के कर्मचारी वायरस से संक्रमित हो गए थे।