बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव में एनडीए की ओर से बीजेपी विधायक विजय कुमार सिन्हा विजय रहे. स्पीकर के लिए चुनाव में महागठबंधन की ओर से उतरे आरजेडी विधायक अवध बिहारी चौधरी भले ही मात गए है,स्पीकर के चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार को 126 और महागठबंधन को 114 वोट मिले हैं. नतीजों के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने स्पीकर विजय सिन्हा को उनकी कुर्सी तक पहुंचाया और बधाई दी. बिहार में ऐसा पांच दशक के बाद हुआ है, जब स्पीकर पद के लिए चुनाव हुआ हो.
आज एक बार फिर 17वीं बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष को लेकर आपस में टकराएंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सत्ता पक्ष और विपक्ष ने सर्वसम्मति नहीं होने पर अपने-अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। एनडीए की ओर से विजय सिन्हा जबकि महागठबंधन से अवध बिहारी चौधरी को प्रत्याशी बनाया गया है। यदि विपक्ष ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया तो मतदान से विधानसभा के नए अध्यक्ष का फैसला होगा।
बिहार विधानसभा के नये अध्यक्ष का चुनाव रोमांचक दौर में पहुंच गया है। राजग की ओर से भाजपा विधायक विजय सिन्हा प्रत्याशी हैं‚ जबकि महागठबंधन की ओर से अवध बिहारी चौधरी मैदान में हैं। दोनों नेताओं ने मंगलवार को नामांकन दाखिल किया। बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पद के लिए बुधवार को 51 वर्ष बाद चुनाव होगा। अब तक सर्वसम्मति से ही विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होता रहा है। दूसरी ओर स्पीकर चुनाव में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पांच विधायकों पर भी नजर रहेगी। हालांकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा था कि स्पीकर पद के लिए वह भी अपना उम्मीदवार उतार सकता है। उन्होंने कहा कि हम तीसरा मोर्चा हैं। अब एनडीए उम्मीदवार विजय कुमार सिन्हा और महागठबंधन के कैंडिडेट अवध बिहारी चौधरी में कौन अगला विधानसभा अध्यक्ष होंगे, यह फैसला आज दोपहर तक हो जाएगा।
महागठबंधन ने दल से नहीं दिल से मतदान की अपील
राबड़ी आवास में मंगलवार की शाम हुई महागठबंधन की बैठक में तेजस्वी यादव ने सभी से एकजुटता के साथ अवध बिहारी चौधरी को जिताने की अपील की। उन्होंने बाकी विधायकों से दल से नहीं दिल से मतदान करने की अपील की। महागठबंधन की ओर से आज विधानसभा में मत विभाजन और गुप्त मतदान कराने के लिए दबाव बनाया जाएगा। राजद और कांग्रेस ने कोई व्हिप तो जारी नहीं किया, लेकिन दावा किया कि महागठबंधन ही नहीं एनडीए के विधायक भी समर्थन करेंगे। राज्य समिति की बैठक होने के चलते भाकपा माले के विधायक बैठक में नहीं पहुंचे। हालांकि माले के विधायक दल के नेता अरुण सिंह ने व्हिप जारी किया है। बैठक के बाद राजद के मुख्य प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि जनादेश की चोरी करके सरकार तो बना ली, लेकिन अध्यक्ष महागठबंधन का ही बनेगा।
सदन नेता व विपक्ष के नेता की घोषणा आज
बिहार विधानसभा के अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही आज यानी बुधवार को सदन के नेता और विपक्ष के नेता की भी घोषणा होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सदन में विधिवत सदन नेता के रूप में तथा तेजस्वी यादव को नेता विपक्ष की मान्यता की घोषणा होगी। महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव को नेता विपक्ष बनाए जाने संबंधी पत्र बिहार विधानसभा सचिवालय को प्राप्त हो गया है और मंगलवार को उन्हें इस रूप में मान्यता भी दे दी गयी है। घोषणा आज होगी।
अध्यक्ष पद पर जीत का अंकगिणत एनडीए के पक्ष में
अध्यक्ष पद पर जीत का अंकगिणत एनडीए के पक्ष में है। मतदान के दौरान मतों के विखराव को रोकने को लेकर दोनों घटक संजीदा हैं। मंगलवार को इसको लेकर दोनों ओर से बैठक कर रणनीति बनायी गयी और घटक दलों ने ह्विप भी जारी कर दिए हैं। इकलौते निर्दलीय सुमित कुमार सिंह और लोजपा के एक विधायक का भी मत भाजपा उम्मीदवार को मिलने के आसार हैं। यदि सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सर्वानुमति नहीं बनी और मतदान की नौबत आयी तो यह तीसरी मर्तबा होगा, जब विस अध्यक्ष पद के लिए बिहार विधानसभा चुनाव का गवाह बनेगा।
पहली बार हुए मतदान में जीते थे धनिक लाल मंडल
1967 में 16 मार्च को कार्यकारी अध्यक्ष दीप नारायण सिंह ने अध्यक्ष पद के लिए 9 सदस्यों द्वारा प्रस्ताव देने की सूचना सदन को दी थी. सत्तापक्ष की ओर से छह प्रस्ताव थे, जिनमें एक का प्रस्ताव सच्चिदानंद सिंह की ओर से सदन में रखा गया. उन्होंने धनिक लाल मंडल का नाम अध्यक्ष पद के लिए सदन के सामने रखा. श्रीकृष्ण सिंह ने प्रस्ताव का अनुमोदन किया. विपक्ष की ओर से सनाथ राउत ने प्रस्ताव रखा कि विधानसभा के अध्यक्ष पद पर हरिहर प्रसाद सिंह चुने जाएं. किशोरी प्रसाद ने इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया. इसके बाद कार्यकारी अध्यक्ष दीप नारायण सिंह ने सदन के समक्ष प्रश्न रखा-प्रश्न यह है कि धनिक लाल मंडल विधानसभा अध्यक्ष चुने जाएं. उसके बाद सभा ‘हां’ और ‘ना’ में विभक्त हुई. ‘हां’ के पक्ष में 171 जबकि ‘ना’ के पक्ष में 126 सदस्यों ने मत दिया और सदन में प्रस्ताव स्वीकृत हो गया. धनिक लाल मंडल विधानसभा के अध्यक्ष चुन लिए गए.
दूसरे चुनाव में धनिक लाल को हरा अध्यक्ष बने थे राम नारायण
1969 में 11 मार्च को मतदान हुआ था. तब भी सदन में कार्यकारी अध्यक्ष के पास विस अध्यक्ष पद के लिए कुल छह प्रस्ताव आए थे. उनमें चार के वापस होने पर दो रह रह गये थे. इसके कारण मतदान कराना पड़ा था. उस समय हरिहर प्रसाद सिंह ने रामनारायण मंडल को अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव रखा, जगदेव प्रसाद ने इसका अनुमोदन किया. वहीं कर्पूरी ठाकुर ने अध्यक्ष पद के लिए धनिक लाल मंडल के नाम का प्रस्ताव किया और इसका अनुमोदन राम अवधेश सिंह ने किया. रामानंद तिवारी ने भी इसका अनुमोदन किया, लेकिन सूची में नाम नहीं होने से उनका अनुमोदन स्वीकृत नहीं हुआ. उसके बाद मतदान हुआ और राम नारायण मंडल को अध्यक्ष बनाये जाने के पक्ष में 155, जबकि विपक्ष में 149 वोट पड़े. हरिहर प्रसाद सिंह और भोला पासवान शास्त्री ने राम नारायण मंडल को विस अध्यक्ष के आसन तक ससम्मान लाकर उसपर बिठाया.