बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों में जैसे-तैसे एनडीए बहुमत तो पा गया लेकिन, सीएम नीतीश कुमार की पार्टी JDU के लिए चुनाव परिणाम कई मायने में निराशाजनक रहा. जिस बात से JDU सबसे ज़्यादा निराश हैं वो यह कि जदयू के टिकट पर एक भी मुस्लिम विधायक का नहीं जीत पाए. इस बात की कसक जदयू नेताओं की बातों से साफ झलक रही है. रह-रह कर JDU के नेताओं की बातों में यह दर्द भी छलक रहा है. JDU MLC ग़ुलाम रसूल बलियावी ने अपनी पीड़ा का इजहार करते हुए कहा कि आख़िर क्यों कोई किसी के विकास के लिए काम करेगा? जितना काम नीतीश कुमार ने मुस्लिम समुदाय के लिए किया उतना किसी न नहीं किया, फिर भी मुस्लिम समुदाय ने ऐसा क्यों किया पता नहीं.
बता दें कि इस बार के चुनाव में 19 मुस्लिम विधायक जीते हैं, जबकि 2015 में 24 मुस्लिम विधायक चुने गए थे. आरजेडी के टिकट पर सबसे ज्यादा 8 मुस्लिम जीते हैं, जबकि दूसरे नंबर 5 मुस्लिम विधायक इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) से चुने गए हैं. इसके अलावा कांग्रेस के चार, सीपीआई (माले) से एक और एक बसपा के टिकट पर जीत हासिल की है जबकि जेडीयू से एक भी मुस्लिम नहीं जीत सका. वहीं, 2015 के चुनाव में आरजेडी से 11, कांग्रेस से 7, जेडीयू से 5 और सीपीआई (माले) से एक मुस्लिम विधायक चुने गए थे.
बता दें कि इस चुनाव में नीतीश कुमार की जदयू ने 11 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए थे. जेडीयू ने पूर्वी चंपारण के सिकटा से खुर्शीद, शिवहर से शरफुद्दीन को, अररिया से शगुफ्ता अजीम, ठाकुरगंज से नौशाद आलम, कोचाधामन से मो. मुजाहिद आलम, अमौर से सवा जफर, दरभंगा ग्रामीण से फराज फातमी, कांटी से मो. जमाल, मढ़ौरा से अलताफ राजू, महुआ से आस्मा परवीन और डुमरांव से अंजुम आरा को टिकट दिया था. लेकिन, एक भी प्रत्याशी जीत नहीं सके.