तीसरे चरण के चुनावी जंग की एक तस्वीर यह भी है कि बड़ी संख्या में जदयू के ऐसे उम्मीदवार हैं जो दशकों से वोटरों के बीच हैैं। जीत भी रहे हैं। जदयू के बिजेंद्र यादव 74 वर्ष की उम्र जदयू की टिकट पर मैदान में हैैं। विगत तीन दशक से वह सुपौल सीट से वोटरों के बीच हैैं। बिजेंद्र यादव ने 1990 में सुपौल विधानसभा सीट से पहला चुनाव जीता था और उसके बाद लगातार जीत रहे हैैं।
सुपौल में बिजेंद्र यादव के नाम का रिकार्ड
सुपौल विधानसभा क्षेत्र में बिजेंद्र प्रसाद यादव के नाम से यह रिकार्ड है कि जितनी बार वह यहां से जीते हैैं उतना कोई नहीं जीता। वर्ष 1990 के विधानसभा चुनाव में वह मात्र तीन प्रतिशत के मतों के अंतर से जीते थे। उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी प्रमोद कुमार को हराया था। इसके बाद तो मानो जीत का सिलसिला ही शुरू हो गया। 1995 के विधानसभा चुनाव में पुन: उन्होंने कांग्रेस के प्रमोद कुमार को हरा दिया। इस बार बिजेंद्र यादव के जीत का अंतर बढ़ गया। उन्हें 42.27 प्रतिशत वोट मिले और प्रमोद कुमार को 31.01 प्रतिशत। वर्ष 2000 में होने वाले चुनाव में वह जदयू प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे और उनका मुकाबला राजद के विनायक प्रसाद से थे। इस बार बिजेंद्र यादव जीते तो जरूर पर जीत का अंतर काफी कम था। उन्हें 28.55 प्रतिशत वोट मिले और राजद प्रत्याशी को 26.51 प्रतिशत। 2005 के फरवरी में भी उन्हें काफी परेशानी हुई। राजद के इसराइल राइन उनके सामने थे। उन्हें 30.31 प्रतिशत वोट आए और बिजेंद्र यादव को 32.2 प्रतिशत। अक्टूबर 2005 में बिजेंद्र यादव की जीत का अंतर फरवरी की जीत से अधिक था। 2010 में बड़े अंतर से वह जीते। राजद प्रत्याशी रवींद्र कुमार सामने थे। बिजेंद्र यादव को 45.47 प्रतिशत वोट मिले और राजद प्रत्याशी को 32.78 प्रतिशत। 2015 के चुनाव में एकतरफा मुकाबले में जीते थे बिजेंद्र यादव। उन्हें 54.69 प्रतिशत वोट आया और सामने रहे भाजपा के किशोर कुमार मुन्ना को 29.84 प्रतिशत। राज्य के उर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव एक और जीत के लिए जोर लगा रहे हैं।
1995 से लगातार वोटरों के बीच हैैं नरेंद्र नारायण यादव
जदयू की टिकट पर आलमनगर सीट से लड़ रहे नरेंद्र नारायण यादव 1995 से लगातार उस सीट से लड़ रहे। 1995 के तुनाव में वह 31.57 प्रतिशत वोट लाकर चुनाव जीते। सामने रहे निर्दलीय प्रत्याशी को मात्र 22.1 प्रतिशत आए। 2000 का चुनाव भी वह जीते, फरवरी 2005, अक्टूबर 2005, 2010 और 2015 में भी उन्हें जीत हासिल हुई।
कोई पच्चीस तो पंद्रह साल से लगातार लड़ रहे
सिकटा से जदयू की टिकट पर मैदान में लड़ रहे खुर्शीद पांच विधानसभा चुनाव से उस क्षेत्र के वोटरों के बीच हैैं। ठाकुरगंज से जदयू के टिकट पर मैदान में मौजूद नौशाद आलम भी बीस वर्षों से अलग-अलग दलों के प्रत्याशी के रूप में वहां के वोटरों के बीच हैैं। कोचाधामन से लड़ रहे मुजाहिद आलम के भी एक दशक हो गए हैैं। अमौर से जदयू की टिकट पर चुनावी जंग में मौजूद सबा जफर 25 साल से उक्त क्षेत्र के वोटरों के बीच मौजूद रहे हैैं। रुपौली से जदयू प्रत्याशी बीमा भारती 2000 से वहां के वोटरों के बीच हैैं।