लोन मोरेटोरियम मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें कहा गया है कि 2 करोड़ तक के ऋण के लिए चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने के अलावा कोई और राहत देना राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र के लिए हानिकारक हो सकता है. केंद्र ने कहा है कि पहले से ही सरकार ने वित्तीय पैकेजों के माध्यम से राहत की घोषणा की थी, उस पैकेज में और ज्यादा छूट जोड़ना संभव नहीं है. चक्रवृद्धि ब्याज की छूट और ऋण पर विभिन्न क्षेत्रों को राहत देने पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ये हलफनामा दाखिल किया है.
लोन की EMI भुगतान टालने यानी मोरेटोरियम के मामले में अब सरकार और ज्यादा राहत देने के मूड में नहीं है. दरअसल, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दिया है. इस हलफनामे में साफतौर पर कहा गया है कि सरकार ने विभिन्न सेक्टर्स को पर्याप्त राहत पैकेज दिया है. मौजूदा महामारी के बीच अब यह संभव नहीं है कि इन सेक्टर्स को और ज्यादा राहत दी जाए.
वित्तीय नीतियों के मामले में हस्तक्षेप न करे कोर्ट
इसके साथ ही केंद्र सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट वित्तीय नीतियों के मामले में हस्तक्षेप न करे. केंद्र ने ये भी कहा कि जनहित याचिका के माध्यम से क्षेत्र विशेष के लिए राहत की मांग नहीं की जा सकती. केंद्र सरकार के हलफनामे के मुताबिक 2 करोड़ तक के लोन के लिए ब्याज पर ब्याज (चक्रवृद्धि ब्याज) माफ करने के अलावा कोई और राहत राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र के लिए हानिकारक है.
आपको बता दें कि बीते दिनों केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 2 करोड़ रुपये तक के एमएसएमई, एजुकेशन, होम, कंज्यूमर, ऑटो लोन पर लागू चक्रवृद्धि ब्याज को माफ किया जाएगा. इसके अलावा क्रेडिट कार्ड बकाया पर भी ये ब्याज वसूली नहीं की जाएगी. लेकिन इसके बाद शीर्ष अदालत ने विभिन्न क्षेत्रों में उधारकर्ताओं के लिए राहत पर विचार करने के लिए सरकार को एक हफ्ते का वक्त दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने की थी सख्त टिप्पणी
बीते अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट ने मोरेटोरियम मामले में केंद्र सरकार पर सख्त टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार रिजर्व बैंक के पीछे छुपकर अपने को बचाए नहीं, इस बारे में हलफनामा दाखिल कर अपना रुख स्पष्ट करे. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि आप सिर्फ व्यापार में दिलचस्पी नहीं ले सकते. लोगों की परेशानियों को भी देखना होगा. आपको यहां बता दें कि मोरेटोरियम के ब्याज पर ब्याज को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
केंद्र ने कहा कि कामत समिति कि रिपोर्ट के आधार पर महामारी से निपटने के लिए क्षेत्र विशेष राहत के लिए एक विशेष सूत्र पर पहुंचना संभव नहीं है. कोर्ट को बताया गया कि गंभीर आर्थिक और वित्तीय तनाव को ध्यान में रखते हुए सरकार और आरबीआई द्वारा निर्णय लिए गए हैं. शीर्ष अदालत ने विभिन्न क्षेत्रों में उधारकर्ताओं के लिए राहत पर विचार करने के लिए सरकार को एक हफ्ते का वक्त दिया था क्योंकि सरकार ने अपने पहले हलफनामे में कहा था कि एमएसएमई के लिए 2 करोड़ तक के ऋण और छह महीने की मोहलत के दौरान व्यक्तिगत ऋण के लिए ब्याज पर छूट दी जाएगी.
SC ने सरकार को कामत समिति की रिपोर्ट को रिकॉर्ड करने के लिए कहा था जिसमें बड़े उधारकर्ताओं के ऋणों के पुनर्गठन की जांच की गई थी. इस मामले में 13 अक्टूबर को सुनवाई होनी है. वहीं RBI ने अपने नए हलफनामे में कहा है कि छह महीने से अधिक की लंबी मोहलत उधारकर्ताओं के क्रेडिट व्यवहार को प्रभावित कर सकता है और निर्धारित भुगतानों को फिर से शुरू करने में देरी के जोखिम को बढ़ा सकता है.