प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधानसभा चुनाव से पहले बिहार को तीन उपहार दिए हैं. प्रधानमंत्री ने बिहार में एक एलपीजी पाइपलाइन परियोजना और बॉटलिंग संयंत्रों का उद्घाटन किया है. इन परियोजनाओं में पारादीप-हल्दिया-दुर्गापुर पाइपलाइन परियोजना का दुर्गापुर-बांका खंड और दो एलपीजी बॉटलिंग संयंत्र शामिल हैं. बिहार में कुछ महीने बाद ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. लिहाजा सरकार राज्य के लिए विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ा रही है.
गैस कनेक्टिविटी से जहां एक तरफ फर्टिलाइजर, पावर और स्टील इंडस्ट्री की ऊर्जा बढ़ेगी. वहीं दूसरी तरफ CNG आधारित स्वच्छ यातायात और पाइप से सस्ती गैस आसानी से लोगों के किचन तक पहुंचेगी. इसी कड़ी में आज बिहार और झारखंड के अनेक जिलों में पाइप से सस्ती गैस देने की शुरुआत हुई है: पीएम
जब मैं कहता हूं कि बिहार देश की प्रतिभा का पावरहाउस है, ऊर्जा केंद्र है तो ये कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. बिहार के युवाओं की यहां की प्रतिभा का प्रभाव चारो तरफ है. भारत सरकार में भी बिहार के कितने बेटे-बेटियां हैं जो देश की सेवा कर रहे हैं: पीएम
जो समाज में हाशिए पर थे, पीड़ित थे, वंचित थे, पिछड़े थे, अतिपिछड़े थे, उन्हें कोई पूछता नहीं था. उनके दु:ख, उनकी तकलीफों को देखकर भी नजरअंदाज कर दिया जाता था. लेकिन बिहार में अब ये अवधारणा बदल चुकी है: पीएम
एक समय था जब रेल, रोड, इंटरनेट कनेक्टिविटी ये सब प्राथमिकताओं में थे ही नहीं. गैस बेस्ड इंडस्ट्री और पेट्रो-कनेक्टिविटी, ये सुनने में बड़े टेक्नीकल से टर्म लगते हैं लेकिन इनका सीधा असर लोगों के जीवन पर पड़ता है, जीवन स्तर पर पड़ता है: पीएम
मोदी ने कहा- बिहार सहित पूर्वी भारत में ना तो सामर्थ्य की कमी है और ना ही प्रकृति ने यहां संसाधनों की कमी रखी है. बावजूद इसके बिहार और पूर्वी भारत विकास के मामले में दशकों तक पीछे ही रहा. इसकी बहुत सारी वजहें राजनीतिक थी, आर्थिक थीं, प्राथमिकताओं की थीं.
कुछ वर्ष पहले जब बिहार के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की गई थी, तो उसमें बहुत फोकस राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर पर था. मुझे खुशी है कि इसी से जुड़े एक महत्त्वपूर्ण गैस पाइप लाइन प्रोजेक्ट के दुर्गापुर- बांका सेक्शन का लोकार्पण करने का अवसर मुझे मिला है: पीएम
कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन पर शोक जताया. मोदी ने कहा कि रघुवंश प्रसाद सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं। उनके निधन ने बिहार के साथ-साथ देश के राजनीतिक क्षेत्र में भी एक शून्य छोड़ दिया है.