बिहार सरकार ने श्रमिक कानून (Labor law) में बड़ा संशोधन करते हुए फैसला लिया है कि प्रदेश में अब श्रमिक आठ घंटा के बजाय बारह घंटा तक काम कर सकते हैं. श्रम मंत्री विजय सिन्हा (Labor Minister Vijay Sinha) ने NEWS 18 को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि श्रमिकों के अधिक समय तक काम करने पर श्रमिकों को कम्पनियां अतिरिक्त मेहनताना भी देगी. कानून में इस बदलाव को जहां निवेशकों के लिए फायदे की बात कही जा रही है वहीं श्रमिकों को भी इसका आर्थिक लाभ मिलेगा. श्रम मंत्री विजय सिन्हा ने बताया की इस बदलाव को लेकर अधिसूचना (Notification) भी जारी कर दी गई है और प्रस्ताव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) के पास भेज दिया गया है.
दरअसल देश के कुछ राज्यों ने श्रमिक कानून में बदलाव करते हुए कई फ़ैसले लिए हैं, जिसकी वजह से बिहार सरकार पर भी दबाव था. दरअसल बिहार सरकार पूरी कोशिश कर रही है की प्रदेश में बड़ा निवेश आए और निवेशकों का रुख बिहार की ओर हो. जानकारों की राय में श्रम क़ानून के बदलाव से बिहार में निवेशकों का रुख हो सकता है.
बिहार में जो श्रम क़ानून में बदलाव हुआ उसके मुताबिक कारखाना अधिनियम 1948 की धारा 5 और 62 (२) के द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग में लाते हुए राज सरकार में निबंधित सभी कारखानाओं के लिए राजपत्र में प्रकाशित होने की तीन माह के लिए धारा 65 की उप धारा 3 की कंडिका एक एवं तीन में प्रावधानों में निम्न छूट दिया जाना है.
श्रमिक कानून में संशोधन के साथ ये हुए अहम बदलाव
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- किसी भी वयस्क कर्मकार से किसी भी दिवस में 12 घंटे से अधिक तथा सप्ताह में 72 घंटे से अधिक कार्य नहीं लिया जाएगा.
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- किसी दिन में काम का विस्तार इस तरह निर्धारित होगा कि प्रत्येक कर्मकार को 6 घंटे के पश्चात 30 मिनट का विश्राम अनिवार्य रूप से दिया जाएगा. और,
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- कोई भी कर्मकार 6 घंटे से अधिक काम नहीं करेगा जब तक कि उसे 30 मिनट का विश्राम न दिया गया हो.
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- प्रत्येक कर्मकार को अतिकाल कार्य हेतु कारखाना अधिनियम 1948 की धारा 59 के प्रावधान अनुसारअतिरिक्त अवधि का नियमानुसार भुगतान किया जाएगा.
बिहार में श्रमिक क़ानून में बदलाव से बिहार का उद्योग जगत भी उत्साहित है और इसे बड़ा क़दम बता रहा है. जाने माने उद्योगपति सत्यजीत सिंह कहते हैं कि श्रमिक क़ानून में बदलाव कर बिहार सरकार ने बिहार में निवेश के लिए रास्ता खोला है.
उन्होंने कहा कि अब बिहार को और भी कुछ फ़ैसले करने होंगे की बिहार में निवेशकों को कैसे प्रोत्साहित किया जाए. बिहार का उद्योग विभाग भी श्रम क़ानून के बदलाव को गहराई से देख रहा है.