बिहार विधान परिषद से बुधवार को बिहार माल और सेवा कर संशोधन विधेयक और बिहार काराधान विवाद समाधन विधेयक पारित हो गया। विधेयक पेश करते हुए उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जीएसटी काउंसिल में सभी पार्टियों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इसके बावजूद सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते हैं। जो फैसले जीएसटी काउंसिल में होता है उसे केंद्र और राज्य सरकार जीएसटी कानून में संशोधन कर लागू करती है। इसी के मद्देनजर बिहार माल और सेवा कर संशोधन विधेयक लाया गया है। उन्होंने कहा कि संशोधन छोटे व्यापारियों के हितों को ध्यान में रख कर किया गया है। पहले 20 लाख रुपये तक वार्षिक कारोबार करने वाले व्यक्तियों को जीएसएसटी नंबर लेना अनिवार्य नहीं था जिसे बढ़ाकर अब 40 लाख रुपये कर दिया गया है। इससे बिहार के एक लाख से ज्यादा व्यापारी जीएसटी निबंधन से बाहर हो जायेंगे। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले जीएसटी निबंधन में लोग गड़बड़ियां भी करते थे। इसे दूर करने के लिए निबंधन में आधार नंबर लिया जा रहा है। जो व्यापारी पहले निबंधन कराये और आधार नंबर नहीं दिए हैं उन लोगों से भी आधार नंबर लिए जायेंगे। जो व्यापारी आधार नंबर नहीं देना चाहते हैं उनसे वैकल्पिक दस्तावेज लिए जाने पर विचार किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1.5 करोड़ रुपये से अधिक के सेवा प्रदाताओं को साल में एक बार ही रिटर्न फाइल करना पड़ेगा। हालांकि तीन महीने पर टैक्स जमा करना होगा। उन्होंने कहा कि पांच करोड़ रुपये तक कारोबार करने वाले नियमित करदाताओं को भी साल में एक बार रिटर्न फाइल करना होगा जबकि तीन महीने पर टैक्स जमा करना होगा। पांच करोड़ रुपये से ऊपर के कारोबारी को तीन महीने पर रिटर्न दाखिल करना होगा। उन्होंने कहा कि रिफंड लेने के लिए सिंगल विंडो की व्यवस्था की गयी है।
उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि राज्य और केन्द्र सरकार द्वारा राज्य के वृद्ध, विधवा, नि:शक्त लोगों को पेंशन दी जाती है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में 59 लाख 73 हजार लोगों को 2231.60 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। वर्ष 2018-19 में 63 लाख 34 हजार लोगों को 2979.03 करोड़ भुगतान किया गया। वर्ष 2019-20 में 64 लाख 22 हजार लोगों को सितम्बर, 2019 तक 777 करोड़ 75 लाख भुगतान किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि दिसम्बर माह में सितम्बर, अक्टूबर का बकाया भुगतान हेतु द्वितीय अनुपूरक में 535 करोड़ का प्रावधान किया गया है।श्री मोदी ने आज विधानसभा में बिहार विनियोग विधेयक 2019 को सदन में प्रस्तुत करते हुए कहा कि अक्टूबर एवं नवम्बर दो माह का भुगतान दिसम्बर माह में प्रस्तावित है।इस वर्ष प्रारम्भ की गई मुख्यमंत्री वृ़द्धजन पेंशन योजना अंतर्गत24 नवम्बर तक 16 लाख 12 हजार लोगों ने आवेदन दिया है। सितम्बर माह तक 5 लाख 28 हजार आवेदकों को भुगतान किया जा चुका है। स्वीकृत शेष 2 लाख 46 हजार का भुगतान दिसम्बर माह में प्रस्तावति है। उपरोक्त लोगों को दिसम्बर माह में सितम्बर, अक्टूबर का बकाया भुगतान हेतु द्वितीय अनुपूरक में 535 करोड़ का प्रावधान किया गया है।वित्त रहित शिक्षा नीति एवं संबंधित अनुदान19 मई 2009 द्वारा वित्त रहित शिक्षा नीति को समाप्त करते हुए स्थापना की प्रस्वीकृति प्राप्त माध्यमिक विद्यालय, इंटर महाविद्यालय तथा संबद्धता प्राप्त डिग्री महाविद्यालयों में उत्तीर्णता के आधार परअनुदान राशि दी जाती है।विद्यालयों के लिए शैक्षणिक सत्र 2014-16 के द्वितीय अनुपूरक में 300 करोड़ की व्यवस्था की गयी है।डिग्री महाविद्यालयों के लिए सत्र 2009-12 से 2014-17 तक यानि कुल 6 सत्रों के लिए 500 करोड़ स्वीकृत किया जा रहा है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार कराधान विवाद समाधन विधेयक एकमुश्त कर समाधान योजना है। यह वन टाइम सेटलमेंट स्कीम है। एक जुलाई, 2017 से पूरे देश में जीएसटी पण्राली लागू हो गयी है। जीएसटी पण्राली के पहले बिहार में छह प्रकार के कर थे। इनमें से अधिकांश अधिनियमों को समाहित कर जीएसटी लागू किया गया है। जो पुराने अधिनियम हैं, उनसे जुड़े जो मामले हैं, उनसे जुड़े हुए जो विवाद हैं, उनके विवादों के समाधान के लिए एकमुश्त कर समाधान योजना लागू करने का सरकार ने निर्णय लिया है। 31 दिसम्बर, 2019 तक सृजित विवादों का समाधान प्रस्तावित योजना में किया जा सकता है। योजना तीन माह के लिए लागू होगी और राज्य सरकार चाहेगी तो उसको और तीन महीनों के लिए बढ़ाया जा सकता है।