बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट आज 14 नवंबर यानी गुरुवार को अपना फैसला सुनाने जा रही है. ये पूरा मामला बिहार के शेल्टर होम में 40 नाबालिग बच्चियों और लड़कियों से दुष्कर्म से जुड़ा हुआ है. टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस की रिपोर्ट के बाद ये पूरा मामला सामने आया था.
बच्चियों के साथ दुष्कर्म का मामला
साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर समेत 21 आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो, बलात्कार, आपराधिक साजिश और अन्य धाराओं में आरोप तय किए थे. सीबीआई ने इस मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को ही बनाया है. सीबीआई का आरोप है कि जिस शेल्टर होम में बच्चियों के साथ दुष्कर्म हुआ है, वो ब्रजेश ठाकुर का है. इस पूरे मामले में ब्रजेश ठाकुर के अलावा शेल्टर होम के कर्मचारी और बिहार सरकार के समाज कल्याण के अधिकारी भी मामले में आरोपी हैं. मीडिया में मामला सामने आने के बाद इस पूरे मामले को सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी को बिहार से दिल्ली ट्रांसफर किया था और 23 फरवरी से ही इस मामले की साकेत कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. तकरीबन 7 महीने की नियमित सुनवाई के बाद सितंबर में साकेत कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करके अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट गुरुवार को अपना फैसला सुनाएगी. यह मामला शेल्टर होम में नाबालिग बच्चियों और युवतियों के यौन शोषण से जुड़ा हुआ है. बीते 1 अक्टूबर को सीबीआई और मामले में अलग-अलग आरोपियों के वकीलों की अंतिम दलील देने की कार्रवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
ब्रजेश ठाकुर सहित 21 पर आरोप
बता दें कि साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर सहित 21 लोगों के खिलाफ बलात्कार करने के लिए आपराधिक षडयंत्र रचने और यौन दुर्व्यवहार सहित विभिन्न गंभीर आरोप लगाए गए थे. सीबीआई ने इस मामले में मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर को बनाया है. सीबीआई का आरोप है कि जिस शेल्टर होम में बच्चियों के साथ यौन शोषण हुआ है वह बृजेश ठाकुर का ही है.
बिहार से केस किया गया था ट्रांसफर
इसके अलावा शेल्टर होम के कर्मचारी और बिहार सरकार के समाज कल्याण अधिकारी भी मामले में आरोपी है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 7 फरवरी को मामला बिहार से दिल्ली ट्रांसफर किया गया था और 23 फरवरी से ही मामले की साकेत कोर्ट में नियमित सुनवाई चल रही थी.
TISS की रिपोर्ट में सामने आया था मामला
बता दें कि यह मामला बिहार के शेल्टर होम में नाबालिग बच्चियों और युवतियों के यौन उत्पीड़न से जुड़ा हुआ है. दरअसल, पूरा मामला टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज यानी TISS की रिपोर्ट में सामने आया था.
21 आरोपितों पर दर्ज हुआ था केस
TISS की रिपोर्ट के आधार पर बाल संरक्षण इकाई ने मई 2018 में महिला पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. इस रिपोर्ट में बालिका गृह में बच्चियों के साथ यौन शोषण की बात सामने आई थी. मामले में ब्रजेश ठाकुर समेत 21 आऱोपितों पर मामला दर्ज किया गया था.
SC के आदेश से साकेत कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 23 फरवरी से ही मामले की साकेत कोर्ट में नियमित सुनवाई चल रही थी. उसी समय सभी आरोपितों को कड़ी सुरक्षा के बीच दिल्ली लाया गया था.
10 साल तक की सजा का प्रावधान
सुप्रीम कोर्ट ने छह माह में ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया था. कानून के जानकारों के अनुसार इस तरह के अपराध में न्यूनतम 10 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है.