बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर पीएम मोदी आज नेपाल यात्रा पर हैं। पीएम मोदी नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के निमंत्रण पर यहां पहुंच हैं। नेपाल पहुंचने पर प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी। इसके बाद प्रधानमंत्री महामायादेवी मंदिर पहुंचे। पीएम नरेंद्र मोदी और नेपाल के पीएम शेर बहादुर देउबा ने नेपाल के लुंबिनी में महामायादेवी मंदिर में पूजा-अर्चना की।
#WATCH नेपाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने लुंबिनी मठ क्षेत्र के भीतर अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी), दिल्ली से संबंधित एक भूखंड में बौद्ध संस्कृति और विरासत के लिए एक केंद्र के शिलान्यास समारोह में भाग लिया। pic.twitter.com/N0jhnbA52c
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नेपाल के अद्भुत लोगों के बीच आकर खुश हूं- मोदी
नेपाल पहुंचने पर पीएम मोदी ने ट्वीट किया है। मोदी ने कहा कि मैं लुंबिनी पहुंचने पर प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किए जाने पर उनका धन्यवाद करता हूं। मोदी ने आगे कहा है मैं नेपाल के अद्भुत लोगों के बीच आकर खुश हूं।
बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र की आधारशिला रखेंगे
पीएम मोदी बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र की आधारशिला रखने के लिए आयोजित समारोह में भी भाग लेंगे। मोदी लुंबिनी में मायादेवी मंदिर में पूजा-अर्चना भी करेंगे। एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि प्रधानमंत्री नेपाल सरकार के तत्वावधान में लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट द्वारा आयोजित बुद्ध जयंती कार्यक्रम को भी संबोधित करेंगे। कार्यक्रम में हजारों लोग शामिल रहेंगे।
#WATCH नेपाल: बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लुंबिनी में महामाया देवी मंदिर पहुंचे। #Budhpurnima
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कुछ घंटे के लिए नेपाल दौरे पर जा रहे हैं। बतौर PM मोदी की यह पांचवी नेपाल यात्रा है। इस दौरे को दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों के लिहाज काफी अहम माना जा रहा है। इसके अलावा देश की राजनीति से भी इसे जोड़कर देखा जा सकता है।
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने कहा- प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा लुम्बिनी में मुलाकात करेंगे। इस दौरान वो दोनों देशों के बेहतर संबंध को लेकर चर्चा करेंगे। एक दूसरे के हितों के मुद्दों पर भी बातचीत होगी। बहरहाल, सवाल ये है कि मुलाकात के लिए लुम्बिनी ही क्यों, काठमांडू या कोई और शहर क्यों नहीं? हम आपको बताते हैं क्यों…..
यहीं हुआ था गौतमबुद्ध का जन्म
दरअसल, आज बुद्ध पूर्णिमा है और आज ही नेपाल के प्रधानमंत्री और मोदी मुलाकात करेंगे। ये बात गौर करने वाली है कि भगवान गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में ही हुआ था। भारत में बौद्ध लोगों की आबादी भले ही कम हो, लेकिन भारत का इतिहास बुद्ध और बौद्ध धर्म के बिना पूरा नहीं होता। नेपाल में बौद्ध दूसरी बड़ी आबादी है। सिर्फ लुम्बिनी में ही 1 लाख 58 हजार बौद्ध रहते हैं। जब ये मुलाकात लुम्बिनी में होगी, तो भारत और नेपाल की साझी बौद्ध विरासत दोनों के राजनीतिक संबंध भी बेहतर होंगे।
एशिया के देशों को एक सूत्र में बांध सकती है बौद्ध कूटनीति
लुंबिनी जाने से भारत-नेपाल के राजनीतिक रिश्ते तो मजबूत होंगे ही, साथ बौद्ध कूटनीति से एशिया को भी एक सूत्र में भी बांधा जा सकता है। दरअसल, दुनिया की बड़ी बौद्ध आबादी चीन, नेपाल भूटान, श्रीलंका और थाईलैंड जैसे देशों में रहती है। इसीलिए की भारतीय जुड़े और बौद्ध कूटनीति से एशिया को एकता के सूत्र में बांधा जा सकता है।
सियासी इशारे भी
भारत में बौद्ध धर्म के मानने सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में हैं। यहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य में फिलहाल, कांग्रेस-NCP और शिवसेना की सरकार है और भाजपा प्रमुख विपक्षी दल है। प्रधानमंत्री की इस यात्रा का धार्मिक के साथ राजनीतिक महत्व भी माना जा सकता है। यहां से वो महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और देश के बाकी बौद्धों को भाजपा से जोड़ने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
ये बुद्ध की लुम्बिनी है…
1 स्तूप उनकी राख और एक स्तूप उस घड़े पर बना था जिसमें अस्थियां रखी थीं। नेपाल में कपिलवस्तु के स्तूप में रखी अस्थियों के बारे में माना जाता है कि वह गौतमबुद्ध की हैं। इसके अलावा उनके जीवन से जुड़ी 5 महत्वपूर्ण जगहें और हैं। उत्तर प्रदेश के ककराहा गांव से 14 मील और नेपाल-भारत सीमा से कुछ दूर पर बना रुमिनोदेई नामक गांव ही लुम्बिनी है, जो गौतम बुद्ध के जन्म स्थान के रूप में प्रसिद्ध है। लुम्बिनी बौद्ध धर्म के मतावलम्बियों का एक तीर्थ स्थान है। यह नेपाल के रूपनदेही जिले में पड़ता है।
समेटे है ऐतिहासिक रहस्य
गौतम बुद्ध की भूमि लुम्बिनी सदियों से इतिहास के कई रहस्य अपने में समेटे हुए है। लुम्बिनी हिमालय की गोद में बसे देश नेपाल के दक्षिण में स्थित है। शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने लुम्बिनी की खुदाई के दौरान सदियों पुराने एक मंदिर और गांव का पता लगाया है। इस जगह के बारे में पहले से कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी। युनेस्को ने बुद्ध के जन्मस्थान को ऐतिहासिक महत्व की वैश्विक धरोहर घोषित कर रखा है। खुदाई में शामिल विशेषज्ञों का कहना है कि नई खोज 1300 ईसा पूर्व के समय की है। यह बुद्ध के जन्म से 700 साल पहले के अवशेष हैं।
सम्राट अशोक से संबंध
हाल ही में हुई खुदाई के नतीजों से पता चला है कि मंदिर का यह ढांचा मायादेवी मंदिर के भीतर बना था। यह सम्राट अशोक के इस क्षेत्र में पहुंचने से पहले की घटना है। माना जाता था कि लुम्बिनी और यह मंदिर सम्राट अशोक के कार्यकाल में तीसरी शताब्दी में बनाया गया था। इस खुदाई मिशन में शामिल अनुसंधानकर्ताओं ने सम्राट अशोक के समय से पहले के एक मंदिर का पता लगाया है जो कि ईंट से बना हुआ था।