स्वास्थ्य शारीरिक‚ मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है। स्वस्थ जीवन हरेक शख्स की जिंदगी में काफी ज्यादा महत्व रखता है‚ मगर जब कोई बीमार पड़़ता है या किसी को गंभीर बीमारी हो जाती है तो सही और किफायती इलाज मृगमरीचिका हो जाती है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना की तीसरी वर्षगांठ पर आयुष्मान भारत डि़जिटल मिशन की शुरुआत की। जाहिर तौर पर सरकार का यह एक क्रांतिकारी कदम है। खास बात यह है कि १३० करोड़़ आधार नंबर‚ ११८ करोड़़ मोबाइल उपभोक्ता‚ करीब ८० करोड़़ इंटरनेट उपयोगकर्ता और लगभग ४३ करोड़़ जनधन खातों के साथ इतनी बड़़ी एकीकृत आधारभूत अवसंरचना दुनिया में कहीं नहीं है। डि़जिटल कार्ड़ के माध्यम से मरीज और ड़ॉक्टर दोनों पुराने रिकार्ड़ की जरूरत पड़़ने पर जांच कर सकते हैं। सबसे बड़़ा फायदा यह होगा कि देश के किसी भी कोने में इलाज के लिए जाएंगे तो कोई जांच रिपोर्ट या पर्ची ले जाने की कोई जरूरत नहीं होगी। निःसंदेह पिछले ७ साल से स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत बनाने का अभियान चल रहा है। ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री ने पिछले साल १५ अगस्त को लालकिले से डि़जिटल स्वास्थ्य मिशन की पायलट योजना का ऐलान किया था। अभी यह योजना छह केंद्रशासित प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चल रही है। हालांकि मिशन की असली परीक्षा तब होगी जब इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। देश में उन गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए भले यह मिशन राहत की बात हो‚ किंतु उन्हें शिक्षित करने की जिम्मेदारी सरकार पर है। ठीक है कि स्वास्थ्य संबंंधी सभी दस्तावेज डि़जिटल रूप में सुरक्षित हो जाएंगे‚ मगर इसके दुरुपयोग होने की आशंका भी उतनी ही बलवती है। यूरोपीय देश नीदरलैंड़ में २००२ से २०११ तक सरकार ने डाटा जुटाया‚ लेकिन डे़टा के दुरुपयोग/चोरी की आशंका के चलते सरकार ने डाटा नष्ट कर दिया। उसके बाद वहां ई–हेल्थ का काम इंड़स्ट्री देख रही है। अच्छी बात है कि १२० देशों ने इसे अपनाने की हामी भरी है। डि़जिटल कामकाज ने निश्चित रूप से आमजन में गुणात्मक बदलाव किया है। अगर एक यूनिक आईड़ी से स्वास्थ्य की हर जानकारी एक जगह इकट्ठा हो तो यह वाकई बड़़ी बात है।
तुझे और तेरे भाई को कहां भेजना है….
तेलंगाना में बीजेपी के फायरब्रांड नेता टाइगर राजा सिंह ने ओवैसी ब्रदर्स को लेकर बयान दिया है। उन्होंने दोनों भाइयों...